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सोमनाथ मंदिर : वह मंदिर जिस पर 17 बार आक्रमण हुआ।

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 आज हम जिस मंदिर के विषय में बात करने वाले हैं वह मंदिर  प्राचीन भारत के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर प्राचीन काल में अपने ऊपर हुए अनेक आक्रमणों से कई बार ध्वस्त हुआ, परंतु फिर भी कई बार पुनर्निर्माण होकर आज भी अपने अस्तित्व में है। साथ ही इस मंदिर का निर्माण हर युग में हुआ और हर युग में इसका नाम भी बदलता रहता है। यह मंदिर है सोमनाथ का मंदिर।   सोमनाथ मंदिर सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में बेरावल बंदरगाह में स्थित भगवान शिवजी का एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग है। यह शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग है। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक स्थल है। यह मंदिर कपिला, हिरण्या और सरस्वती नदियों के त्रिवेणी संगम पर है। इस मंदिर पर विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा कई बार आक्रमण करके इसे धस्त किया गया, परंतु इस मंदिर को भारतीयों द्वारा फिर से कई बार पुनर्निर्माण कर लिया गया। ऐसा मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण हर युग में किया गया है। शास्त्रों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्र देव ने किया था। साथ ही श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर अपना...

बेंजामिन नेतनयाहू: फिलिस्तीन के सबसे बड़े दुश्मन जिसने अपने कंधे पर अपने राष्ट्र के लिए गोली खाई और अपने देश के लिए सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति बने

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 यह कहानी है उस व्यक्ति की जो फिलिस्तीन का सबसे बड़ा कट्टर दुश्मन माना जाता है, उसने न सिर्फ अपने राष्ट्र के लिए गोली खाई बल्कि देश के लिए कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में हिस्सा लिया और अपने राष्ट्र का सबसे लंबे समय तक के प्रधानमंत्री बने। यह कहानी है भारत के सबसे अच्छे मित्र इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू की।                     प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू  बेंजामिन नेतन्याहू का जन्म 21 अक्टूबर 1949 को तेल अवीव, इजराइल में हुआ था। वह एक इसराइली प्रधानमंत्री और एक राजनायिक हैं। उन्हें बचपन में 'बीबी' बुलाया जाता था। उनके पिता का नाम बेंजियन नेतनयाहू था जो एक इतिहासकार थे और यहूदियों के इतिहास के बारे में लिखते थे। उनकी माता का नाम त्ज़िला सेगल था। उनका बचपन कुछ समय पश्चिमी जेरूसेलम और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका में बीता। वह शेल्टनहम हाई स्कूल से ग्रेजुएट हुए। वह 1967 में इसराइल वापस आकर इजरायली डिफेंस फोर्स में शामिल हो जाते हैं। उन्होंने 1967 से लेकर 1972 तक आर्मी में अपनी सेवा दी। युद्ध के दौरान उन्हें गोली भी लगी।इसक...

एपीजे अब्दुल कलाम: एक साधारण लड़के की अखबार बेचने से लेकर भारत को मिसाइल तकनीकी के क्षेत्र में मजबूत बनाने और देश का प्रथम नागरिक बनने तक की यात्रा

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 यह कहानी है उस एक सधारण लड़के की जिसने कभी अपना घर चलाने के लिए बचपन में अखबार बांटा, रात दिन कई वर्षों तक अपने कठोर परिश्रम से भारत को मिसाइल तकनीकी के क्षेत्र में शक्तिशाली बनाया और देश का प्रथम नागरिक यानी राष्ट्रपति बने। हम जिसके विषय में  बताने जा रहे हैं देश के मिसाइल मैन के नाम से जाना जाने वाले हमारे देश के 11वें राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम। APJ Abdul Kalam डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनका पुरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन मराकायार एक नाविक थे और माता का नाम आशियम्मा एक गृहणी थी। कलाम का परिवार आर्थिक रूप से बहुत ही गरीब था। उनके पिता का एक छोटा सा नाव था जिसे वह मछुआरों को किराए पर दते थे और तीर्थ यात्रियों को अपने नाव से सैर कराते थे। उनके पिता बहुत ही अनुशासित व्यक्ति थे और वह स्थानीय मस्जिद के इमाम भी थे। उनकी बातों में गहरी आध्यात्मिकता थी। कलाम के मन में उनके अपने पिता के बातों का बहुत प्रभाव पड़ता था। बचपन उन्हीं के बातों को सुनकर उनके मन में...

सरदार वल्लभभाई पटेल: भारत को एक सूत्र में पिरोनेवाले लोह पुरुष

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 आज हम एक ऐसे महान व्यक्ति के विषय में बात करने वाले हैं जिन्होंने हमारे देश को एकजुट किया और हमारे राष्ट्र के अस्तित्व को विश्व में बचा कर रखा।             15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने हमारे देश को आजाद तो किया, परंतु भारत से एक अलग राष्ट्र पाकिस्तान का भी निर्माण करके चले गए। इसके साथ ही भारत 562 अलग-अलग देसी रियासतों में बांटा हुआ था। इन रियासतों को यह विकल्प दिया गया था कि वे चाहे तो भारत में विलय हो जाए या अपना स्वतंत्र राष्ट्र बना लें। इससे सभी राजाओं में अपना स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मंशा ने जन्म लिया। यह एक बहुत बड़ी समस्या थी और इससे हमारे भारतवर्ष का अस्तित्व खतरे में हो सकता था। इस दौर में भारत के इन 562 देसी रियासतों को एक सूत्र में बांधकर एकीकरण करने का कार्य एक व्यक्ति को दिया गया जिसे उन्होंने बहुत अच्छे से पूरा किया और हमारे राष्ट्र को एक किया। वह महान व्यक्ति हैं लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल। आज हम जानने वाले हैं उनके जीवन के विषय में।                        सरदार वल्लभभाई ...

भारतीय महिला क्रिकेट टीम‌ की सफलता

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 आज की कहानी है हमारे पूरे भारत देश और हमें गौरवान्वित करने वाली और हमें सबसे बड़ी जीत दिलाने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम की। अब हमारी भारतीय महिला क्रिकेट टीम ICC Women's World Cup 2025 की फाइनल मैच जीतकर विश्व चैंपियन बन गई है। यह केवल एक जीत नहीं है, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है। 2 नवंबर 2025 यह वह तारीख है जब महिला क्रिकेट टीम ने एक इतिहास रच दिया है और अपना एक नया अध्याय का शुरुआत किया है। यह देश के 146 करोड़ लोगों की सोच बदलने वाली जीत है। पूरे 52 वर्षों के लंबे प्रतिक्षा के बाद भारत की बेटियों ने वह कार्य कर दिया है जिसे लोग एक बहुत दूर का सपना मानते थे। अपने संघर्ष, आंसु, हिम्मत की आग और आलोचनाओं से बनी इस टीम ने पहली बार ODI वर्ल्ड कप जीता है। इस जीत के बाद पूरे देश में एक बार फिर से दिवाली मनाया गया। यह जीत केवल भारत की 15 महिला क्रिकेट टीम की नहीं, बल्कि यह हर उस लड़की की जीत है जिसने अपने जीवन में कुछ अलग करने का सब सपना देखा है। साथ ही यह देश के उन 70 करोड़ महिलाओं की भी जीत है जीने लोगों की रूढ़िवादी बातों का भी सामना करना पड़ता है।         ...

सनी देओल: कैसे एक भोले शक्ल वाले लड़के ने अपने पहले से ही फिल्म से 80 के दशक में रोमांस के सेंसेशन से उभरा और 90 का दशक आते आते भारतीय सिनेमा में एक्शन फिल्मों की परिभाषा को ही बदल दिया

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 आज हम जिस व्यक्ति के विषय में बात करने वाले हैं उसने न केवल अपने पहले ही डेब्यू फिल्म से लोगों के दिलों में राज किया बल्कि 90 का दशक आते-आते भारतीय सिनेमा में एक्शन फिल्मों की परिभाषा को ही बदल दिया, उनकी फिल्में लोगों के दिलों में राज करने साथ साथ बॉक्स ऑफस में गदर मचाया जिसने अपने करियर में फिल्म के सभी दौरों का अनुभव किया। हम बात करने जा रहे हैं सनी देओल की। सनी देओल  सनी देओल का जन्म 19 अक्टूबर 1957 में साहनेवाल ,पंजाब में हुआ था। उनका पूरा नाम अजय सिंह देओल है। उनके पिता का नाम धर्मेंद्र है जो बहुत ही प्रसिद्ध अभिनेता हैं और उनकी माता का नाम प्रकाश कौर है। जब उनके पिता धर्मेंद्र को 1960 में अपनी पहली फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे'से कम मिल गया, तो सनी देओल अपनी माता के साथ पंजाब छोड़ बंबई(अब मुंबई) आ गए। यहीं से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। यहां रहते हुए उनका खेलों में रुचि बढ़ाने लगा था। वह बचपन में अपने स्कूल के प्रत्येक खेलों में भाग लेते थे। उन्होंने बचपन में 12 वर्ष की उम्र में है अपने पड़ोस से चुपके से कार लेकर ड्राइविंग सीख लिया था। जब उनका कॉलेज खत्म हुआ, तो...

असरानी: हमारे प्रिय हास्य कलाकार

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 आज हम जिस व्यक्ति की बात करने जा रहे हैं, वह न केवल एक बेहतरीन हास्य कलाकार , बल्कि  एक बहुत अच्छे संगीतकार भी थे। इन्होंने अपने संघर्ष के दौरान अपने जिस संस्था में एक्टिंग सिखा उसी में एक्टिंग सीखने का काम भी किया। यहां बात होने जा रही है हम सबको हंसाने वाले हास्य कलाकार असरानी जी की।          असरानी जी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर, राजस्थान  में एक सिंधी परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम गोवर्धन असरानी था। वह वह चार बहनें और तीन भाइयों में से एक थे। उनके पिताजी वर्ष 1936 में कराची से जयपुर आ गए थे। यहां उन्होंने इंडियन आर्ट कारपेट फैक्ट्री में नौकरी किया और बाद में अपना बिज़नेस करने लगे। असरानी के पढ़ाई सेंट जे़वियर स्कूल और राजस्थान कॉलेज से हुई थी। असरानी के माता-पिता चाहते थे कि वह अच्छे से पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी करें। लेकिन वहां एक अभिनेता बनने का मन बना चुके थे। उनके पिता ने इसके लिए उन्हें कभी इजाजत नहीं दी। असरानी को लगता था कि शायद उनका सपना पूरा नहीं होगा। वह बचपन से ही जयपुर में रेडियो के कार्यों से जुड़े हुए थे और अपनी पढ़ाई पूरी करन...