करोली टेकस: दुर्घटना में अपना एक हाथ खो दिया, फिर जिंदगी से जंग लड़के अपने एक हाथ से इतिहास रच दिया
यह कहानी है उस व्यक्ति की जिसने अपना एक हाथ खो दिया, फिर भी वह हार नहीं माना और जिंदगी से जंग लड़ कर अपने एक हाथ से 25 मीटर रैपिड फायर इवेंट में दो ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले व्यक्ति बने। यह कहानी है हंगरी के नायक करोली टेकस की। करोली टेकस करोली टेकस का जन्म 21 जनवरी 1910 में बुडापेस्ट, हंगरी में हुआ था। वह बचपन से ही बहुत होशियार बच्चे थे। वह बड़े होकर 'हंगरियन आर्मी' में शामिल हो जाते हैं। वह लगभग सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में जीत हासिल कर चुके थे। वह 1936 तक एक वर्ल्ड क्लास पिस्टल शूटर बन गए थे, परंतु '1936 समर ओलंपिक' के खेलों में उन्हें अपने राष्ट्रीय टीम के लिए जगह नहीं दिया गया क्योंकि वह एक सर्जेंट थे और 'कमीशन अफसरों' को ही भाग लेने का का अनुमति था। इस नियम को कुछ समय बाद हटा दिया गया। करोली के लगातार जीत को देखते हुए, हंगरी के सभी देशवासियों को लगता है कि 1940 में होने वाली 'टोक्यो ओलंपिक' में वह गोल्ड मेडल जीतेगा और देश का नाम रोशन ...