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करोली टेकस: दुर्घटना में अपना एक हाथ खो दिया, फिर जिंदगी से जंग लड़के अपने एक हाथ से इतिहास रच दिया

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 यह कहानी है उस व्यक्ति की जिसने अपना एक हाथ खो दिया, फिर भी वह हार नहीं माना और जिंदगी से जंग लड़ कर अपने एक हाथ से 25 मीटर रैपिड फायर इवेंट में दो ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले व्यक्ति बने। यह कहानी है हंगरी के नायक करोली टेकस की।                                 करोली टेकस  करोली टेकस का जन्म 21 जनवरी 1910 में बुडापेस्ट, हंगरी में हुआ था। वह बचपन से ही बहुत होशियार बच्चे थे। वह बड़े होकर 'हंगरियन आर्मी' में शामिल हो जाते हैं। वह लगभग सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में जीत हासिल कर चुके थे। वह 1936 तक एक वर्ल्ड क्लास पिस्टल शूटर बन गए थे, परंतु '1936 समर ओलंपिक' के खेलों में उन्हें अपने राष्ट्रीय टीम के लिए जगह नहीं दिया गया क्योंकि वह एक सर्जेंट थे और 'कमीशन अफसरों' को ही भाग लेने का का अनुमति था। इस नियम को कुछ समय बाद हटा दिया गया। करोली के लगातार जीत को देखते हुए, हंगरी के सभी देशवासियों को लगता है कि 1940 में होने वाली 'टोक्यो ओलंपिक' में वह गोल्ड मेडल जीतेगा और देश का नाम रोशन ...

वॉल्ट डिज्नी : विश्व को सबसे सुंदर इमेजिनेशन दुनिया देने वाला व्यक्ति

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 आज हम जिस व्यक्ति के विषय में बात करने वाले हैं वह 300 से अधिक बार असफल हुए, कभी पेपर बांटने का काम किया, उन्होंने कभी अपने सपने के लिए अपना घर गिरवी रखा और अपने सुंदर कल्पना शक्ति से विश्व को दे दिया सबसे सुंदर वर्ल्ड डिज़्नी। वह सुंदर कल्पना शक्ति वाले व्यक्ति हैं वॉल्ट डिज्नी। वॉल्ट  डिज़्नी             वॉल्ट डिज़्नी का जन्म 5 दिसंबर 1901 में हेरमोसा, शिकागो, इलिनॉयस, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। उनका पूरा नाम वॉल्टर एलियास डिज़्नी था। उनके पिताजी का नाम एलियास डिज़्नी था जो एक किसान और एक बढ़ई थे। साथ ही वे फल भी बेचते और कई विभिन्न प्रकार के काम करते थे। उनके माता जी का नाम फ्लोरा कोल डिज़्नी था। उनके पिताजी अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए ज्यादा पैसे नहीं कमा पाते थे। इसलिए वे अपने खेत बेचकर मार्सलिन, मिसौरी प्रवासित हो जाते हैं। वॉल्ट डिज़्नी के तीन भाई और एक बहन थी।              वॉल्ट डिज़्नी को चित्र बनाने का बहुत शौक था। वे हमेशा कुछ न कुछ फर्श पर और दीवार पर बनाते रहते थे। कभी-कभी उन्हे...

हार्दिक पांड्या : वह खिलाड़ी जिन्होंने अपने सपने के लिए सब कुछ छोड़ दिया

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 आज हम बात करने वाले हैं एक बेहतरीन ऑलराउंडर क्रिकेटर की, जिन्होंने कभी एक फैन के रूप में 2011 का क्रिकेट वर्ल्ड कप विनिंग का खुशी मनाया था। फिर वह स्वयं भी बन गए टीम इंडिया के एक महत्वपूर्ण सदस्य, जिन्होंने भारत को कई महत्वपूर्ण मैचों में जीत दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। वह अद्भुत क्रिकेटर हैं हार्दिक पांड्या। हार्दिक पांड्या            हार्दिक पांड्या का जन्म 11 अक्टूबर 1993 को चोरयासी गांव, गुजरात में हुआ था। उनका पूरा नाम उनका पूरा नाम हार्दिक हिमांशु पांड्या है। उनके पिता का नाम हिमांशु पांड्या था। जिनका सूरत में कार फाइनेंस का व्यापार था। उनकी माता नलिनी पांड्या एक ग्रहणी है। हार्दिक पांड्या अपने माता-पिता के साथ  उनके पिता को क्रिकेट देखने का बहुत शौक था। वे क्रिकेट के सारे मैचेस देखते थे। एक बार उनके पिता हार्दिक को बड़ौदा के स्टेडियम में एक क्रिकेट का मैच दिखाने ले जाते हैं। हार्दिक के भीतर यहीं क्रिकेट मैच देखकर क्रिकेट के प्रति रुचि जागने लगती है। उसके बाद वे अपने बड़े भाई क्रुणाल पांड्या के साथ दिन भर क्रिकेट खेलने लगते हैं। क्रुण...

रतन टाटा: देश के अनमोल रतन

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 आज हम जिस व्यक्ति के विषय में बात करने वाले हैं उन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उन्हें पूरा देश और पूरा दुनिया जनता है। हमारे देश को औद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ाने और विश्व भर में पहचान दिलाने में उनका बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके कार्य इतने प्रशंसनीय और सराहनीय हैं कि उन्हें उनके नाम के लिए नहीं, बल्कि उनके कार्य के लिए उन्हें देश का रतन माना जाता है। वह व्यक्ति हैं हमारे देश के अनमोल रतन श्रीमान रतन टाटा जी। श्रीमान रतन टाटा जी   रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 में मुंबई(तब बंबई) में एक फारसी परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम रतन नवल टाटा है। उनके पिता का नाम नवल टाटा था जो टाटा ऑयल मिल में MD के पद पर कार्यरत थे। उनके माता का नाम सोनी टाटा था जो एक ग्रहणी थी। श्रीमान नवल टाटा जी               रतन टाटा जी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई 'कैथेड्रल एंड जॉन केनन स्कूल', मुंबई और बिशप कॉटन स्कूल, शिमला से की थी। जब वे 10 वर्ष के थे तभी 1948 में उनके माता-पिता का तलाक हो जाता है। इसके बाद उनका पालन पोषण उनकी दादी ने किया। वह एक आर्क...

सिल्वेस्टर स्टेलोन : वह व्यक्ति जिसने अपनी सफलता की कहानी खुद लिखा

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आज हम जिस व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं उनके जीवन में जन्म लेते ही समस्याओं ने प्रवेश कर लिया था। उन्हें पैसों  लके लिए अपने पत्नी के गहने चुराकर बेचने पड़े, बेघर होने पर फुटपाथ में सोना पड़ा, यहां तक की उन्होंने पैसों के लिए अपने प्रिय पालतू कुत्ते को भी बेचा और लगातार कई प्रयासों के बाद भी वह असफल होते रहे। फिर उन्होंने एक दिन मोहम्मद अली की बॉक्सिंग मैच से प्रभावित होकर स्वयं से एक कहानी लिखी और उस कहानी की फिल्म से अपनी पहचान बनाई और बन गए हॉलीवुड के सबसे बड़े सितारे। वह व्यक्ति हैं हॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता सिल्वेस्टर स्टेलोन। सिल्वेस्टर स्टेलोन         सिल्वेस्टर स्टेलोन का जन्म 6 जुलाई 1946 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। उनका पूरा नाम माइकल सिल्वेस्टर गार्डनजिओ स्टेलोन है। उनके जन्म के समय नर्स के हाथों गलती से उनका एक नस कट जाता है और उनका चेहरा थोड़ा लकवा ग्रस्त दिखने लगता है।  जिसे आप उनके चेहरे में साफ-साफ देख सकते हैं। जब सिल्वेस्टर थोड़े बड़े होते हैं, तो उनके माता-पिता का तलाक हो जाता है जिसके कारण वह हमेशा परेशान रहते हैं। वे अप...

क्रिस गार्डनर: पब्लिक टॉयलेट में सोने वाला व्यक्ति आखिर कैसे बना एक Multi-Millionaire

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 यह कहानी है उस व्यक्ति की जो कभी सार्वजनिक शौचालयों में सोया करते थे, अपना गुजारा चलाने के लिए छोटा-मोटा काम किया और कई कठिनाइयों का सामना करने के बाद अपने समझदारी से एक अरबों की कंपनी बना लेते हैं। यह कहानी है एक सफल बिज़नेस मैन और एक मोटिवेशनल स्पीकर क्रिस  गार्डनर की। क्रिस गार्डनर         क्रिस गार्डनर का जन्म 9 फरवरी 1954 में मिलवोकी, विसकन्सिन, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। उनका पूरा नाम क्रिस्टोफर पॉल गार्डनर है। उनकी माता का नाम बेटये जिन ट्रिपलेट है। उनके पिता उन्हें और उनकी माता को बचपन में ही छोड़ कर चले जाते हैं। उनकी माता दूसरी शादी कर लेते हैं। क्रिस का जीवन बचपन से ही बहुत कठिनाइयों से घिरा हुआ था। उनके सौतेले पिता उन्हें और उनके माता को बहुत मारा करते थे। उन्होंने कई बार क्रिस के माता को झूठे आरोप में जेल भी भेजा। क्रिस ऐसे ही वातावरण में बड़े होते हैं।           जब क्रिस थोड़े बड़े होते हैं, तो उनके सौतेले पिता उनकी माता को जिंदा जलाने का प्रयास करते हैं, परंतु सौभाग्य से उनके माता की जान बच जाती है। इसके लिए उ...

कोनोसुके मात्सुशिता : वह व्यक्ति जिसने अपने विश्वास के दम पर अरबों का कंपनी खड़ा किया

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 आज हम जिस व्यक्ति के विषय में बात करने वाले हैं उन्होंने अपनी पढ़ाई परेशानियों के करण 9 वर्ष की आयु  में ही छोड़ दिया। उन्हें अपने परिवार के सहायता के लिए छोटे-मोटे काम करने पड़े। उन्होंने जिस कंपनी में काम किया उसी कंपनी के बॉस ने उसके द्वारा बनाए गए इलेक्ट्रिकल सॉकेट को स्वीकार किया, परंतु वे हरे नहीं और अपने विश्वास के दम पर उसी सॉकेट से अरबों की कंपनी को बना दिया। वह व्यक्ति हैं जापान के सबसे बड़े उद्योगपति कोनोसुके मात्सुशिता। कोनोसुके मात्सुशिता  कोनोसुके मात्सुशिता का जन्म 27 नवंबर 1894 को वाकायामा, जापान में हुआ था। उनके पिता एक जमींदार थे जिसके कारण शुरू में तो कोनोसुके का जीवन बहुत ही अच्छा था। परंतु बाजार में गिरावटी के कारण उनके पिता को अपनी सारी जमीनें गंवानी पड़ती है। उन्हें अपना मकान भी बेचना पड़ता है। उन्हें गांव छोड़कर शहर आना पड़ता है। वे अपने घर के परेशानियों के कारण केवल 9 वर्ष की आयु में अपना पढ़ाई छोड़ देते हैं। उनके पिता परिवार के पालन पोषण के लिए छोटे-मोटे काम करते हैं। कोनोसुके को भी अपने परिवार की सहायता के लिए एक दुकान में काम करना पड़ता है। वे...