वॉल्ट डिज्नी : विश्व को सबसे सुंदर इमेजिनेशन दुनिया देने वाला व्यक्ति

 आज हम जिस व्यक्ति के विषय में बात करने वाले हैं वह 300 से अधिक बार असफल हुए, कभी पेपर बांटने का काम किया, उन्होंने कभी अपने सपने के लिए अपना घर गिरवी रखा और अपने सुंदर कल्पना शक्ति से विश्व को दे दिया सबसे सुंदर वर्ल्ड डिज़्नी। वह सुंदर कल्पना शक्ति वाले व्यक्ति हैं वॉल्ट डिज्नी।

वॉल्ट  डिज़्नी 

           वॉल्ट डिज़्नी का जन्म 5 दिसंबर 1901 में हेरमोसा, शिकागो, इलिनॉयस, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। उनका पूरा नाम वॉल्टर एलियास डिज़्नी था। उनके पिताजी का नाम एलियास डिज़्नी था जो एक किसान और एक बढ़ई थे। साथ ही वे फल भी बेचते और कई विभिन्न प्रकार के काम करते थे। उनके माता जी का नाम फ्लोरा कोल डिज़्नी था। उनके पिताजी अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए ज्यादा पैसे नहीं कमा पाते थे। इसलिए वे अपने खेत बेचकर मार्सलिन, मिसौरी प्रवासित हो जाते हैं। वॉल्ट डिज़्नी के तीन भाई और एक बहन थी।
             वॉल्ट डिज़्नी को चित्र बनाने का बहुत शौक था। वे हमेशा कुछ न कुछ फर्श पर और दीवार पर बनाते रहते थे। कभी-कभी उन्हें इसके लिए उनके पिता द्वारा डांट दिया जाता था। क्योंकि डिज़्नी के ऐसा करने से दीवार गंदी हो जाती थी। जब वह 7 साल के थे, तब वे अपने पड़ोसी के घोड़ों के चित्र बनाते हैं। उनके पड़ोसी उनसे वह चित्र खरीद लेते हैं। यह वॉल्ट डिज्नी की पहली कमाई थी। 
              वॉल्ट डिज़्नी अपने भाई रोय के बहुत करीब थे। वे उनके साथ अपना सारा समय व्यतीत किया करते थे।
              1909 में, डिज़्नी को सामने के ही एक स्कूल में भारती कर दिया जाता है। परंतु पैसों की कमी होने के कारण उनका परिवार अपने गांव में रह नहीं पता और 1911 में, आर्थिक समस्या के कारण वे अपने परिवार के साथ कंसास शहर प्रवासित हो जाते हैं। उनके पिता को वहां न्यूज़ पेपर और मैगज़ीन बांटने का काम मिल जाता है। न्यूज़ पेपर और मैगज़ीन की संख्या अधिक होने के कारण, डिज़्नी और उनके भाई रोय अपने पिता को बांटने में सहायता करते थे। कुछ पैसे इकट्ठे कर डिज़्नी के पिता उन्हें बेनटन ग्रामर स्कूल में भारती करवा देते हैं। डिज़्नी और उनका भाई रोय अत्यंत ठंड में भी सुबह 4:00 बजे उठते और अपने पिता का न्यूज़पेपर और मैगज़ीन बांटने में सहायता करते थे। इसके बाद वे स्कूल जाते थे और घर वापस आकर वे दोनों फिर से बांटने के लिए जाते थे। इसके कारण वे दोनों काफी थक जाते और स्कूल में ही सो जाते थे। वे दोनों बहुत ही कमजोर विद्यार्थी होते थे। बहुत सारी समस्याओं का सामना करने के बाद भी डिज़्नी ने कभी भी अपने सपनों से समझौता नहीं किया। वे मैगज़ीन कवर को देख और सोच कर कुछ न कुछ चित्र बनाया करते थे।
           वॉल्ट डिज़्नी अपने घर के करीब एक सेलून में जाया करते और कुछ न कुछ बनाया करते थे। सेलून के मालिक उनके चित्रों को देखकर बहुत प्रसन्न होते और उनके बाल फ्री में काटते थे। जब डिज़्नी को बाल काटने की जरूरत नहीं होती थी, तब सेलून के मालिक उन्हें उनके चित्रों के लिए पैसे दिया करते थे। परंतु डिज़्नी कभी भी पैसों के लिए अपने चित्र नहीं बनाते थे। सेलून के मालिक चित्रों को फ्रेम कर उन्हें दीवारों पर लगा देते थे। इन चित्रों को देखकर लोग डिज़्नी का बहुत प्रशंसा करते थे। इससे डिज़्नी बहुत खुश होते और उनका मनोबल बढ़ता था। डिज़्नी ट्रेनों में पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक बेचने का भी काम करते थे। इस तरह के कई कामों को करने के बाद कुछ पैसे जमा कर वह कंसास सिटी आर्ट इंस्टिट्यूट मैं भर्ती हो जाते हैं।
            1918 में, प्रथम विश्वयुद्ध के बाद डिज़्नी अमेरिकन आर्मी जॉइन करने का प्रयास करते हैं परंतु कम आयु होने के कारण उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता है। वे अपना जन्मतिथि बदलकर रेड क्रॉस एंबुलेंस में ड्राइवर का काम के लिए अप्लाई करते हैं और वे यहां सेलेक्ट हो जाते हैं। उन्हें फ्रांस में पोस्टिंग दिया जाता है। वे अपने कला के लिए हमेशा से समर्पित थे। वे अपने एम्बुलेंस को चित्र बनाकर अपने कला से सजाया करते थे। 
            कुछ समय बाद 1919 में, वॉल्ट डिज़्नी रेड क्रॉस का जॉब छोड़ देते हैं और कंसास शहर वापस आ जाते हैं। उन्हें यहां आर्टिस्ट का काम मिल जाता है। 1920 में उन्हें यह कहकर इस काम से निकाल दिया जाता है कि उनमें कोई भी क्रिएटिविटी नहीं है और इमेजिनेशन की कमी है। उन्हें यहां तक कह दिया जाता है कि वे कोई भी सुंदर चीज का अविष्कार नहीं कर सकते हैं। यह बात उनके मस्तिष्क में बैठ जाती है। 
            वॉल्ट डिज़्नी 'लाफ ओ ग्राम' नाम की एक छोटी सी कंपनी खोलते हैं। परंतु पैसों की कमी होने के कारण यह दिवालिया हो जाती है। उसे समय उनके पास कुछ पैसे और एक सूटकेस था जिसमें कुछ कपड़े और चित्र बनाने का सामान था। वे अपने घर तक को गिरवी रख देते हैं। वे लगभग 300 से भी अधिक बार असफल होते हैं। अपना काम करना कभी भी नहीं छोड़ते हैं‌। वे अपने भाई से $2000 लेकर एक दूसरी कंपनी खोलते हैं। वे इसे नाम देते हैं 'डिज़्नी ब्रदर स्टूडियो'। कुछ समय के बाद इसका नाम 'द वॉल्ट डिज़्नी कंपनी'कर दिया जाता है।
यह कंपनी तुरंत ही तरक्की करने लगती है। कुछ समय बाद वे इसमें बहुत सारे लोगों को शामिल करते हैं। इसके बाद वॉल्ट डिज़्नी के जीवन में कुछ परिवर्तन आता है। 1925 में, वे एक लिलियन नाम की लड़की से विवाह कर देते हैं जो उनकी ही कंपनी में आर्टिस्ट के रूप में काम करती थी। 1928 में, जब वे न्यूयॉर्क से कैलिफोर्निया की यात्रा कर रहे होते हैं, तब वे ट्रेन में एक पेपर पर चूहे जैसा एक चित्र बनाते हैं। डिज़्नी अपने पत्नी के कहने पर इसका नाम 'मिक्की' रखते हैं।
Mickey 
यही वह इमेजिनेशन होता है जो आगे चलकर 'द वॉल्ट डिज़्नी कंपनी' का पहचान बन जाती है। डिज़्नी इसका एनीमेशन बनाते हैं और इसे अपना आवाज भी देते हैं। 18 नवंबर 1928 को थिएटर में इसके एनीमेशन को दिखाया जाता है। लोग इसे बहुत पसंद करते हैं। इसके बाद वे कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं और एक के बाद एक सुंदर एनीमेशन बनाते जाते हैं।
आज 'द वॉल्ट डिज़्नी कंपनी'की इमेजिनेशन को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। 
           वॉल्ट डिज़्नी हमें बहुत ही सु़ंदर इमेजिनेशन की दुनिया देखकर 15 दिसंबर 1966 को अलविदा कह जाते हैं। परंतु आज भी लोग उनके इस इमेजिनेशन वाली दुनिया को हमेशा ही अपने हृदय में रखते हैं।

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