हार्दिक पांड्या : वह खिलाड़ी जिन्होंने अपने सपने के लिए सब कुछ छोड़ दिया
आज हम बात करने वाले हैं एक बेहतरीन ऑलराउंडर क्रिकेटर की, जिन्होंने कभी एक फैन के रूप में 2011 का क्रिकेट वर्ल्ड कप विनिंग का खुशी मनाया था। फिर वह स्वयं भी बन गए टीम इंडिया के एक महत्वपूर्ण सदस्य, जिन्होंने भारत को कई महत्वपूर्ण मैचों में जीत दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। वह अद्भुत क्रिकेटर हैं हार्दिक पांड्या।
हार्दिक पांड्या
हार्दिक पांड्या का जन्म 11 अक्टूबर 1993 को चोरयासी गांव, गुजरात में हुआ था। उनका पूरा नाम उनका पूरा नाम हार्दिक हिमांशु पांड्या है। उनके पिता का नाम हिमांशु पांड्या था। जिनका सूरत में कार फाइनेंस का व्यापार था। उनकी माता नलिनी पांड्या एक ग्रहणी है।हार्दिक पांड्या अपने माता-पिता के साथ
उनके पिता को क्रिकेट देखने का बहुत शौक था। वे क्रिकेट के सारे मैचेस देखते थे। एक बार उनके पिता हार्दिक को बड़ौदा के स्टेडियम में एक क्रिकेट का मैच दिखाने ले जाते हैं। हार्दिक के भीतर यहीं क्रिकेट मैच देखकर क्रिकेट के प्रति रुचि जागने लगती है। उसके बाद वे अपने बड़े भाई क्रुणाल पांड्या के साथ दिन भर क्रिकेट खेलने लगते हैं।क्रुणाल पंड्या
उनके पिता अपने दोनों बच्चों के भीतर क्रिकेट के प्रति रुचि देखकर उन्हें क्रिकेटर बनाने के बारे में सोचते हैं। उनके पिता देखते हैं कि उनके गांव में क्रिकेट की अच्छी सुविधाएं नहीं है। इसलिए 1998 में, वे सह परिवार अपने गांव में चल रहे अच्छे व्यापार को छोड़कर बड़ौदा आ जाते हैं। उनके पिता के लिए गांव की खुशहाली जीवन छोड़कर बड़ौदा में एक कमरे वाले मकान में आकर रहना आसान नहीं होता है। उनके पिता अपने दोनों पुत्रों को क्रिकेटर बनाने का विचार अपने मन मे रखते हुए उन्हें क्रिकेट की अच्छी ट्रेनिंग के लिए पूर्व भारतीय क्रिकेटर किरण मोरे की अकैडमी में एडमिशन करवा देते हैं।किरण मोरे
शुरू में हार्दिक की छोटी आयु को देखते हुए उन्हें एंट्री नहीं दिया जाता है, परंतु जब उनके पिता के कहने पर हार्दिक की बेटिंग देखते हैं, तो किरण मोरे उनसे बहुत प्रभावित होते हैं और उन्हें अपने अंतर्गत ले लेते हैं। हार्दिक उनके अकैडमी में क्रिकेट के बेसिक को सिखाते हैं। उनकी शिक्षा की बात करें, तो वे अपनी पढ़ाई MK हाई स्कूल से करते हैं। उन्हें पढ़ाई में बिल्कुल भी रुचि नहीं था। उनके माता-पिता को स्कूल से हमेशा अपने दोनों बच्चों के लिए शिकायतें मिलती रहती थी। बचपन में उनके माता-पिता को शिक्षकों से बहुत कुछ सुनना पड़ता है। उनके शिक्षक उन्हें यह तक कह देते हैं कि वे अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं और उनके बच्चों का भविष्य अंधकार में है। एक दिन उनके पिता सहन नहीं कर पाते हैं। वे उत्तर दे देते हैं कि आपको पता नहीं है 'एक दिन मेरा बेटा बहुत बड़ा आदमी बनेगा'। हार्दिक की क्रिकेट अकैडमी उनके घर से लगभग 20-25 किलोमीटर की दूरी पर रहती है। उनके पिता उन्हें अकैडमी ले जाया करते और ट्रेनिंग के बाद घर ले आया करते हैं। जब कभी उनके पिता कामों में व्यस्त रहते, तो वे अपने मित्र को हार्दिक को अकैडमी से लाने को कहा करते हैं। हार्दिक को यह बात अच्छा नहीं लगता है। एक दिन वे अपने पिता से कहते हैं 'हमें अपने किसी भी दोस्त को लाने या ले जाने के लिए मत बोलिए, मैं नहीं चाहता कि वे कहें कि मेरी वजह से आपका लड़का सफल हुआ'। यह सुनकर उनके पिता ₹10000 की EMI पर एक मोटरसाइकिल खरीद कर ला देते हैं। हार्दिक और क्रुणाल उसी मोटरसाइकिल से अपने एकेडमी आना जाना करने लगते हैं। हार्दिक अपने क्रिकेट में एक्सपर्ट बनने लगते हैं। वह अपने टीम के विजेता होते हैं और अपने टीम को बहुत सारे मैचों में स्वयं के दम पर जीतते हैं। उन्हें अपने पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता है और 9वीं के बाद वे अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं। वर्ष 2008 में उनके पिता को कई बार हार्ट अटैक आता है और डॉक्टर उन्हें आराम करने का सलाह देते हैं। इसके बाद घर के आमदनी की जिम्मेदारी हार्दिक और उनके बड़े भाई क्रुणाल पर आ जाता है। दोनों अपने शहर, गांव और जगहों जाकर सभी टुर्नामेंट खेलने लगते हैं। हार्दिक अपने किट बैग लेकर लोकल ट्रेन से जाया करते और फिर बिना टिकट लोकल ट्रेन या ट्रक से क्रिकेट खेल कर आ जाया करते हैं। इस दौरान वे केवल ₹5 की मैगी खाकर ही दिनभर क्रिकेट खेलते हैं और उन्हें प्रत्येक मैच के लिए ₹350 मिलते हैं। उनकी स्थिति ऐसी हो जाती है कि घर में दो वक्त का खाना भी मुश्किल से मिलता है। उस समय उन पर उधारी इतनी बढ़ जाती है कि वह अपने भाई के साथ स्टेडियम में ही छिपकर रहते हैं। वे अपने गाड़ी का EMI भी महीनों से नहीं भर पाते हैं। वे बैंक के डर से अपने भाई के साथ गाड़ी को छुपा कर रखते हैं। उनके जीवन में इतनी सारे विषम परिस्थितियां होती है कि उन्हें आगे सफलता का कोई आशा नहीं दिखता है। उस समय हार्दिक चाहते, तो अपने घर की आवश्यकताएं पूरा करने के लिए कोई भी काम कर सकते थे। लेकिन उनके भीतर क्रिकेट के प्रति बहुत अधिक समर्पण रहता है। वे क्रिकेट के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। वे परिश्रम करते रहते हैं और दिन प्रतिदिन बेहतर होते जाते हैं। वे 2011 में भारत के वानखेड़े स्टेडियम में ODI वर्ल्ड कप जीतने का गवाह भी बनते हैं और अपने दोस्तों के साथ इसका जश्न भी में बनाते हैं।
हार्दिक अपने दोस्तों के साथ जश्न मनाते हुए
सभी एज ग्रुप लेवल के टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करने पर 2013 में उन्हें बड़ौदा के स्टेट टीम में शामिल कर लिया जाता है। वे 17 मार्च 2013 को अपना पहला T20 मैच मुंबई के विरुद्ध खेलते हैं। 2012-13 सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी में वे 7 मैच के 5 इनिंग्स में 123 रन 30 के एवरेज और स्ट्राइक रेट 135 से बनाते हैं और पांच विकेट अपने नाम करते हैं। इस टूर्नामेंट में उन्हें ₹80000 का पेमेंट मिलता है। इससे उनके आर्थिक स्थिति में थोड़ा सुधार आता है। इस वर्ष 28 नवंबर 2013 को वे अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू करते हैं। वे सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2013-14 में 9 मैच में 219 रन 38.28 के एवरेज से बनाते हैं। 2014 में विजय हजारे ट्रॉफी के समय उनके पास कोई भी बैट नहीं था, तो इरफान पठान उन्हें दो बैट देते हैं। हार्दिक ने उन दो बैटों को आज भी अपने पास संभाल के रखा हुआ है। उसी वर्ष एक घरेलू मैच में वे वानखेड़े स्टेडियम में ज़हीर खान और धवल कुलकर्णी जैसे गेंदबाजों के विरुद्ध खेलते हुए 57 गेंदों में 82 रन बनाते हैं। यहां मैच उनके लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित होता है क्योंकि इस मैच के दौरान मुंबई इंडियंस के कोच जॉन राइट भी वहां रहते हैं।
वे हार्दिक के प्रदर्शन से बहुत प्रभावित होते हैं और आईपीएल के लिए अपने टीम में 10 लाख के बेस प्राइस पर उन्हें शामिल कर लेते हैं। अपने पहले ही आईपीएल मैच में हार्दिक का प्रदर्शन बहुत ही शानदार रहता है। जिसमें उनका कोलकाता के विरुद्ध 31 बॉल में 61 रनों की पारी सबसे ज्यादा यादगार है। इसमें मैच से हार्दिक एक स्टार बन जाते हैं। इस वर्ष मुंबई इंडियंस दूसरी बार आईपीएल चैंपियन बनती है। इस दौरान सचिन तेंदुलकर हार्दिक से मिलते हैं और उन्हें कहते हैं 'तुम एक डेढ़ साल के अंदर ही इंडिया के लिए खेलोगे'। कुछ ही महीनों बाद 26 जनवरी 2016 को एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध नीली जर्सी में अपने देश को रिप्रेजेंट करने का सपना पूरा हो जाता है। वे आगे भारत को कई मैचों में जीताने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हार्दिक 2024 के t20 वर्ल्ड कप में विनिंग टीम का हिस्सा बनते हैं और टीम को जीताने में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। साथ ही वे 2025 के चैंपियंस ट्रॉफी के विनिंग टीम का हिस्सा होते हैं और इसमें भी वे भारत को जीताने में अपने अच्छे बल्लेबाजी और गेंदबाजी करते हुए अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
वे हार्दिक के प्रदर्शन से बहुत प्रभावित होते हैं और आईपीएल के लिए अपने टीम में 10 लाख के बेस प्राइस पर उन्हें शामिल कर लेते हैं। अपने पहले ही आईपीएल मैच में हार्दिक का प्रदर्शन बहुत ही शानदार रहता है। जिसमें उनका कोलकाता के विरुद्ध 31 बॉल में 61 रनों की पारी सबसे ज्यादा यादगार है। इसमें मैच से हार्दिक एक स्टार बन जाते हैं। इस वर्ष मुंबई इंडियंस दूसरी बार आईपीएल चैंपियन बनती है। इस दौरान सचिन तेंदुलकर हार्दिक से मिलते हैं और उन्हें कहते हैं 'तुम एक डेढ़ साल के अंदर ही इंडिया के लिए खेलोगे'। कुछ ही महीनों बाद 26 जनवरी 2016 को एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध नीली जर्सी में अपने देश को रिप्रेजेंट करने का सपना पूरा हो जाता है। वे आगे भारत को कई मैचों में जीताने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हार्दिक 2024 के t20 वर्ल्ड कप में विनिंग टीम का हिस्सा बनते हैं और टीम को जीताने में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। साथ ही वे 2025 के चैंपियंस ट्रॉफी के विनिंग टीम का हिस्सा होते हैं और इसमें भी वे भारत को जीताने में अपने अच्छे बल्लेबाजी और गेंदबाजी करते हुए अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
आज हार्दिक पांड्या सबके पसंदीदा ऑलराउंडर और अपने प्रदर्शन से लोगों को रोमांचित करने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। यह सफलता उस खिलाड़ी ने प्राप्त किया है जो कभी खुद भारत के मैच जीतने पर जीत का जश्न मनाया था और कभी अपना कर्ज चुकाने के लिए स्टेडियम में छुपता था।






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