जुबीन गर्ग: असम के सबसे बड़े सितारे

 आज हम जिस व्यक्ति के विषय में बात करने जा रहे हैं वह केवल गायक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक के बहुत बड़े प्रतीक हैं। उनके गानों में असम की संस्कृति और असम के सुंदर दृश्य  दिखते हैं। उनकी आवाज में वह जादू है जो किसी के हृदय को छू लेती है। वह है असम के सबसे बड़े सितारे जुबीन गर्ग।


                                  जुबीन गर्ग

                  जुबीन गर्ग का जन्म 18 नवंबर 1972 में तूरा, मेघालय में हुआ था। उनके बचपन का नाम जीबोन बोरठाकुर था। उनके पिता का नाम मोहिनी मोहन बोरठाकुर था जो एक मजिस्ट्रेट के साथ-साथ प्रसिद्ध कवि थे और कहानी लिखा करते थे। उनकी माता ईली बोरठाकुर नर्तकी, अदाकारा और एक गायिका थी। जुबीन को बचपन सही संगीत से बहुत प्रेम था। वे इसके लिए अपनी मां को ही प्रेरणा मानते हैं और उन्हीं से गाना सीखा।

            उनके पिता का मजिस्ट्रेट होने के कारण उनका ट्रांसफर अलग-अलग जगहों में होता था। इसके कारण जुबीन गर्ग का शिक्षा भी तीन भाषाओं में हुआ। वे तीसरी तक अंग्रेज़ी माध्यम में, चौथी से सातवीं तक बंगाली माध्यम में और आठवीं से दसवीं तक बंगाली माध्यम में पढ़े। उनके बचपन में अपने पिता का बार-बार एक स्थान से दूसरे स्थान स्थानांतरण होने के कारण उनका जीवन बहुत ही समस्या पूर्ण था, परंतु इसके कारण उन्हें विभिन्न स्थानों के लोगों से मिलने, घूमने और विभिन्न भाषाओं में लोकगीतों को सीखने का अवसर मिला।

           उन्होंने संगीत में सबसे पहले अपने गुरु रोबिन बनर्जी से तबला बजाना सीखा। उन्होंने असामी में लोकगीत गुरु रामानिक रोय से सीखा जो बहुत ही अच्छे लोक संगीतकार थे। अपने स्कूल के समय वे कई बार खेल के साथ-साथ दूसरों से झगड़ा भी कर लेते थे। इसके लिए उन्हें दंड में मिलता, परंतु उनके अच्छा तबला बजाने और अच्छा संगीत गाने के कारण उन्हें माफ कर दिया जाता था। उन्होंने तबला के साथ-साथ संगीत के और भी कई इंस्ट्रूमेंट बजना सीख लिया था। जुबीन मुख्य रूप से लोकगीत पर ज्यादा रुचि रखते थे। बचपन में अलग-अलग जगह जाने के कारण लोकगीतों का उनके जीवन में बहुत प्रभाव था।

             जुबिन ने पहली बार 1992 में अपना पहला लाइव परफॉर्मेंस किया था जिसमें उन्होंने तबला बजाया था। इसके लिए लोगों ने उनका बहुत प्रशंसा किया था और वे बहुत ही प्रसिद्ध होने लगे। उन्होंने 1992 में ही अपना पहला एल्बम 'अनामिका' बनाया।


यह लोगों द्वारा बहुत ही पसंद किया गया। उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में आसामी भाषा में ही गाने गए और स्वयं को आसामी संस्कृति में पूरी तरह बसा लिया। वे पूरी तरह असम में प्रसिद्ध गए।

              इसके बाद वे मुंबई जाकर काम करने का निश्चय करते हैं। चूंकि उन्होंने असम में ही स्वयं को पहले से आर्थिक रूप से मजबूत बना लिया था इसलिए मुंबई आकर आर्थिक रूप से स्वयं को बसाने का कोई समस्या नहीं हुआ। फिर वे सगाई कर लेते हैं, परंतु इसी बीच उनकी मां की मृत्यु हो जाती है। वे अपने मां से बहुत प्रेम करते थे और उन्हीं को अपना पहला गुरु मानते थे। उनकी मृत्यु से वे काफी टूट जाते हैं। इसी दौरान उनकी बड़ी बहन भी एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाती है और उनकी मृत्यु हो जाती है। इन दोनों की मृत्यु से वे बहुत ही दुखी हो जाते हैं और उनको इससे निकलने में बहुत समय लगता है। वर्ष 2000 में आई फिल्म 'फिज़ा' में उन्होंने अपना पहला गाना गया। फिर वर्ष 2006 में आई फिल्म 'गैंगस्टर' मैं उन्हें 'या ली' गाने का अवसर मिला। इसी गाने ने उनका जीवन बदल दिया और वे पूरे देश भर में प्रसिद्ध हो गए। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

              उन्होंने हिंदी, असमी, बंगाली, तमिल जैसे भारत के लगभग सभी भाषाओं में गाना गया। उन्होंने 50 से ज्यादा भाषाओं में 38000 से ज्यादा गाना गाया। संगीत के साथ-साथ उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में भी काम किया और कुछ रियल्टी शो में भी जज बने।वे अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और अपने उन मित्रों को देते हैं जिन्होंने बुरे समय में उनका सहायता किया था।

            आज जुबिन पूरे देश भर में सांस्कृतिक सगीतों का प्रतीक हैं और लोगों के लिए बहुत ही बड़े प्रेरणा हैं।

       

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